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Saturday, 12 November 2016

स्वच्छता अभियान पर निबन्ध (व्यंग्य )


 मैडम जी ,सफाई की बातें टी वी  पर रेस्पेक्टेड पीएम जी से और घर में मम्मी से सुनी हैं ,पर मम्मी सफाई को लेकर सबकी डांट खाती रहतीं हैं ,इस लिए मुझे बुरा भी बहुत लगता है। मम्मी जब भी पापा से बाथरूम में वाइप करने को कहती हैं ,तो पापा कहते हैं -तुम टॉयलेट भी अपनी टंग से साफ किया करो। ....... चाचा कहते हैं -टॉयलेट कोई गन्दी प्लेस थोड़े ही है ..... जब वे हॉस्टल में रहते थे तो वहाँ के लड़के एक -दूसरे की चीजें चुरा कर
टॉयलेट में ही खाते थे ....... भइया मॉर्निग में जब किचन में जाता है तो मम्मी उस पर डेली चिल्लाती हैं ,कहती हैं-इस घर की ये तो परम्परा है कि छोटे से लेकर बड़े टॉयलेट से निकल कर कभी पैर नहीं धोते ,बाहर की चप्पलों के साथ सारे घर में घूम आते हैं ,पूजाघर तक नहीं छोड़ते। फिर दादी, मम्मी को डांटती हैं -कितना चिल्लाती है ये महान महिला .... .. सवेरे -सवेरे शनिदेव को दरवाजे खोलती है।
मम्मी कहती है -सबकी सेवा करते -करते एक दिन दुनिया से चली जाउंगी .... ये लोग नहीं सुधरेंगे ,बीमारियाँ कहाँ तक न फैले ,मोदी जी भी कैसे लोगों को समझाने चलें हैं। ...... दादी फिर चिल्लाती हैं -ओ मोदी की चेली .. उनका सिंहासन सरक जायेगा पर बजबजाती गन्दगी की तस्वीर न बदल पाएंगे। ........ अरे सत्यानाश हो बावले मोदी का घर की औरतें कम पंडताइन थीं ऊपर से और बवाल फैला दिया। कोई और काम -धाम न बचा है इस देस में। ........ क्या आदमी है ,अच्छों -अच्छों को झाड़ू पकड़ा दी इसने।
अरे जहां चार जन खड़े हो जाएँ वहां टिकने की है सफाई ?दादा जी अलग परेशान हैं ,कहते हैं -सर्वे में परसेंटेज देखी थी ,चश्मा लगा के देखना चाहिए.......पता है बुढ़ापे में खिल्ली उड़वा दी मोदी ने। शर्मा जी बीच रस्ते किनारे क्या खड़े हुए नई उमरों ने फूल पकड़ा दिए। ...... वाकिंग करते वक्त कहीं थूक भी नहीं सकता ,रुमाल रखने पड़ते हैं साथ में।
मैडम जी मैं कनफ्यूज्ड  हूँ ,सफाई गुड हैविट है या वैड। आई डोंट नो।


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