'जिधर दिखेगी सूंड उधर बनेगा मूड '
मुकुन्दी -क्यों भइया, घऱ का खर्चा क्या पड़ोसी चलाएंगे,अगर इतना ही क्रेज है सूंड का तो भगवान गणेश का लॉकेट पहन कर घर से क्यों नहीं निकलते। फिर तो दिन भर ही मूड बना रहेगा।
'जन- जन की है यही पुकार ,हैडपम्प की आई बहार '
मुकुन्दी -झूठ बोलते शर्म नहीं आती ,हैडपम्प लगवाकर अब क्या करोगे भाई ,पानी का स्तर तो बहुत नीचे जा चुका है.....'जल ही जीवन है' इस बात का ख्याल पहले ही रखा गया होता तो यह नौबत ही नहीं आती....अगर अब भी न सुधरे तो पानी के लिए सच में कंगाल हो जाओगे।
'साइकिल और हाथ का साथ पसन्द है '
मुकुन्दी -लगता है बड़ी हड़बड़ी में हैं भाई ,देर से आये फिर भी सवालों के जवाब ढंग से ढूंढ कर नहीं ला पाए ,ऐसे उचकम -उचका करते हो कि पूछने वाले सोचते हैं भाई लोग उनको सीरियसली नहीं लेते ..आपका बर्ताव उनको ऐसा लगता है जैसे आपने उनको खरीद लिया हो। आजकल हाथ की जगह मशीनों ने ले ली है और जो हाथ काम में लगे भी हैं लोग उनको भाव नहीं देते, पप्पू कह कर निकल जाते हैं.......हाँ साइकिल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकती थी ऐसा माना जाता है लेकिन इससे भी लोगों ने नजरें फेर ली हैं ...क्यों कि आदमी डाइविटीज से राहत के लिए साइकिल खरीदता है पर हर जगह जान को खतरा है चल नहीं सकता और चोरों की भी नजर जमी रहती है इसलिए ...साइकिलिंग छोड़ कर लोगों ने काम पर ध्यान देना शुरू कर दिया है क्यों कि शरीर बोलता है मोटापा कोसों दूर रहता है।
'एक ही अरमान तीर कमान'
मुकुन्दी -उद्धव काफी समझदार व्यक्ति थे मगर व्रज वासियों ने उनकी बातों को गम्भीरता से नहीं लिया उन्होंने भगवान कृष्ण को भूलने की बात की थी सबने दुत्कार के भगा दिया था...भक्ति होती ही ऐसी है.गोपियों ने कहा था -ऊधौ मन नहीं दस बीस।खैर ये सब जाने दो...राजशाही तो जा चुकी ,क्रिकेट के जमाने में तीर कमान का अरमान, ये बात कुछ हजम नहीं हुई।
'परिवर्तन लाएंगे फूल खिलाएंगे '
मुकुन्दी -अरे भइया , परिवर्तन लाने का ठेका तुमने लिया है क्या ,परिवर्तन तो प्रकृति का शाश्वत नियम है ,पतझड़ ,सावन ,बसन्त ,बहार...कोई चाहे न चाहे वारिश भी होगी ,बर्फ भी पड़ेगी और फूल भी खिलेंगे। इंसान के वश में क्या है ,कभी शशिकला ने घर वार ठुकरा दिया था और आज वक्त ने उनको जबरदस्त ठोकर मार दी....ये संसार ऐसे ही चलता है जो आज है वो कल नहीं रहेगा।
क्या भाई साहब आप तो गम्भीर मुद्रा में आ गये,पसन्द अपनी -अपनी ख्याल अपना -अपना।किसी को नदी पसन्द है किसी को नाव पसन्द है,किसी को धूप पसन्द है किसी को छांव पसन्द है, कोई मन्त्र मुग्ध है किसी को तलाश पसन्द है....और बगल वाले दददू को 'विकास' पसन्द है क्यों कि वो उनके पोते का नाम है....आज के लिए इतना ही अपने बोल अनमोल सुनाने फिर आऊँगा तब तक के लिए नमस्कार।