हमारे कष्टों से जिनको खुशियाँ मिलीं
गुत्थियाँ मन की जिनके संग खुलती नहीं
जिनसे हरगिज हमारी बनती नहीं
फिर कभी मिलने की न चाहत लिए
जिनसे मिले हुए, अब तो बरसों हुए
तो कल ही हमको फॉलो किये
वो टहलते हुए वर्चुअल वर्ल्ड में मिले
हमारे सपनों से जो जलते रहे
देख कर आदतन ही उबलते रहे
न निकल जाऊं आगे डरते रहे
आस्तीन में रह कर भी डसते रहे
गिनती सीखी हमारी कमियों से ही उन्होंने
तंज कसने से अब जाकर फुर्सत मिली
पोस्ट हमारी को लाइक करते मिले
जिधर देखो उबासियां फैलीं पड़ीं
सुनकर औरों के दुःख जो बहरे हुए
सफलताऐं दिखीं तो गूंगे हुए
यहाँ उपस्थिति उनकी जरूरी भी नहीं
आत्मीयता दिखाते ,खिलखिलाते मिले
अपनेपन से जिनका कुछ नाता नहीं
महज़ फ़रेबी लगे फिर से ये सिलसिले
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