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Tuesday 2 April 2013

लोग और समस्याएँ

कुछ लोग अपनी समस्याओं से
परेशान होते हैं
तो कुछ लोग खुद ही दूसरों के लिए
समस्या होते है
जो लोग समस्याओं से परेशान हैं,
उनका समाधान कभी न कभी हो ही जायेगा
लेकिन जो लोग दूसरों के लिए समस्या हैं,
उनका समाधान कभी नहीं होगा
ऐसे लोग दूसरों के जख्मों पर नमक छिडकते हैं
उनके घावों को देख अट्टाहस करते हैं, फिर भी
इन पर क्रोध नहीं करना चाहिए
क्यों कि वे बहुत ज्यादा तरस के काबिल हैं
अंदर से बहुत ही रीते और अधूरे हैं 
दीमक लगे खोखले और भुरभुरे हैं
थोड़ी भी चोट सह नहीं पाएंगे
दरक जायेंगे, बिखर जायेंगे

दूसरों को दुख देकर कोई सुखी नहीं हो सकता
चैन से सो नहीं सकता, जी नहीं सकता
केवल धन-वैभव सुख की गारंटी नहीं है
अक्सर लोग अपनी मँहगी चीजों से दूसरों को
प्रभावित करने की कोशिश करते हैं
कुटिल मुस्कान तो चेहरे पर हमेशा विखरी रहती है
पर सच्ची हँसी को हमेशा तरसते हैं
ऐसे लोग भावनात्मक रूप से असुरक्षित होते हैं
मानसिक रूप से बीमार होते हैं
अपना कीमती समय दूसरों से घ्रणा करने
और बदले में घ्रणा पाने में ही गंवाते रहते हैं
इन्सान होकर भी न इन्सान बन पाते  हैं
न ही इंसानों को समझ पाते हैं
कब उनकी नफरत विक्षिप्तता में बदल जाये
कह नहीं सकते
क्यों कि वे सच सुन नहीं सकते, सच सह नहीं सकते
किसी के साथ हो कुछ अच्छा, वर्दाश्त कर  नहीं सकते                       --- अलका सिंह

वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है

वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई ग़ैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है

किसी से अपने दिल की बात कहना तुम न भूले से
यहाँ खत भी जरा- सी देर में अख़बार होता है

हमारे दुख  से सुख उनको ,हमारे सुख से दुख उनको
सही माने  में अपनों का यही व्यवहार होता है

बुरा कहते हैं वो हमको तो इसमें हर्ज ही क्या है
सुना है इस तरह भी प्यार का इजहार होता है

किसी का दिल न तोड़ो भूलकर भी ऐ ,जहाँ वालो
बड़ी मुश्किल से कोई दिल यहाँ तैयार होता है

हमेशा हम जिन्हें सच बोलने की सीख देतें हैं
उन्हीं के सामने सच बोलना दुश्वार होता है

किसी को दिल न देने की कसम हर बार खाई
मगर मजबूर हैं हमसे यही हर बार होता है
                                                                         -डॉo उर्मिलेश   

काश धरती पे सितारों का बसेरा होता

काश धरती पे सितारों का बसेरा होता
रात होती भी तो महसूस सवेरा होता

तुम नहीं थे तो उजालों की तलब थी सबको
तुम न आते तो अँधेरा ही अँधेरा होता

प्यार के दीप हरेक घर में जलाए जाते
दोस्त !इस शहर पे कुछ ज़ोर जो मेरा होता

तुझसे करने को थीं ,तनहाई में बातें क्या -क्या
बीते लम्हों ने अगर मुझको न घेरा होता

खिलते रहते तेरे होंठों पे शगूफे हरदम
दुःख जो दुनिया का है तेरा नही ,मेरा होता
                                                                    -किशन स्वरूप (आसमान मेरा भी है )

Monday 1 April 2013

प्यारा मौसम लाने में कुछ वक्त लगेगा

गुजरी रुत दुहराने में कुछ वक्त लगेगा
प्यारा मौसम लाने  में कुछ वक्त लगेगा

फिर दिल को बहलाने में कुछ वक्त लगेगा
यानि उनके आने में कुछ वक्त लगेगा

उनको तो समझाना मुश्किल काम  नहीं
दुनिया को समझाने में कुछ वक्त लगेगा

कच्ची छत के नीचे ही सो जाओ अब
शीशमहल बनवाने में कुछ वक्त लगेगा

तुझको तो पा लेना मुश्किल काम नहीं
लेकिन खुद को पाने में कुछ वक्त लगेगा
                                                                  -अनिल चौधरी 

सितारों से अकेले में मैं जब भी बात करता हूँ

सितारों से अकेले में मैं जब भी बात करता हूँ
खुले दिल से तुम्हारी और अपनी बात करता हूँ

मुझे मालूम है इस दौर में मुमकिन नहीं फिर भी
तुम्हें खुश देखकर मैं भी ख़ुशी की बात करता हूँ

ये मेरी खुशगुमानी है कि नादानी ,खुदा जाने
मैं तुमसे मिलके अक्सर ज़िन्दगी की बात करता हूँ

बहुत अफ़सोस है मुझको कि सब दरपन हुए झूठे
मैं अपनी ,दोस्तों की औ तुम्हारी बात करता हूँ

कली हो ,फूल -खुशबू हो ,बहारें ही बहारें हों
ख्यालों में मुझे देखो मैं कैसी बात करता हूँ

हमेशा ख़्वाब में दंगा ,तबाही ,खून ,वहशत है
मैं सपने में भी डरकर सहमी -सहमी बात करता हूँ

ये हिंदू है ,वो मुस्लिम है ,ये काफ़िर है ,वो दीवाना
सभी से प्यार है मुझको ,सभी की बात करता हूँ
                                                                                  -किशन स्वरूप 

Sunday 31 March 2013

जो प्यार से मिला उसे अपना बना लिया

जो प्यार से मिला उसे अपना बना लिया
हमने तो इस जहान को घर -सा बना लिया

तनहाइयों के शहर में यादों की भीड़ थी
लोगों ने खुद को भीड़ में तनहा बना लिया

वो तो  बनाते  रह गये हर दिन नया  खुदा
हमने ही अपने -आपको बंदा बना लिया

भारी पड़ेगा औरों पे वो शख्स एक  दिन
अपना वजूद जिसने कि हल्का बना लिया

वो मर गया गरीब उसूलों के वास्ते
लोगों ने उसकी मौत को जलसा बना लिया

सैलाब देखने के लिए भीड़ लग गयी
लोगों ने हादसे को तमाशा बना लिया
                                                               -रामेश्वर वैष्णव