नकल से ब्याकुल मुकुन्दी लाल (व्यंग्य )
पिरय मकुंदी, नव सन्तावर मुबरक बो, बुसय-इंगलिस,समास सास्त्र, अपने रा प ल सरमा को निरास मत करना। नमस्कार मित्रो ,चकरा गए न ,मेरे दिमाग का भी चूरमा बन गया है ...ऐसे पढ़े -लिखे मित्र से तो अनपढ़ मित्र होना ज्यादा अच्छा था....राम प्रसाद लखन शर्मा ,इन महोदय ने अपनी भतीजी के विषय लिख भेजे हैं ,साथ ही नवसंवत्सर की मुबारकवाद भी ,इन्हें अपनी भतीजी के लिए वर की जरूरत है।
वैसे इतना भी हैरान होने की आवश्यकता नहीं है....अगर बिहार की टॉपर विषय गलत बोल सकती है तो ये गलत क्यों नहीं लिख सकता ....शिक्षा के लिए चार बातें महत्वपूर्ण होती हैं १-किसे पढ़ाएं २-क्या पढ़ाएं ३- कैसे पढ़ाएं ४-कौन पढाये ....मैं तो कहता हूँ इतनी माथापच्ची करने की जरूरत क्या है ,पढाने वालों का हाल ये है,कि इनके हिसाब से कारगिल पंजाब में भी हो सकता है,यूनिसेफ पोलियो ड्राप बनाने वाली कम्पनी भी हो सकती है।
प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा राज्य के अंर्तगत आती है केंद्र उसमें सहयोग भर कर सकता है।
विल्कुल सही राह पकड़ी थी उत्तर प्रदेश ने ,नकल करा के नाकारा पहले ही बना दो ताकि विश्वविद्यालय में जाकर सिर्फ राजनीति ही करने लायक रह जाएँ....सरकारें भी जानती रहीं कि कि काबिल बनाने का कोई फायदा नहीं है ,जनसँख्या के हिसाब से जगहें तो कम ही हैं ....इस लिए फॉर्म भरो का खेल ,खेल कर अपनी आमदनी बढ़ाती रहीं।
मैं तो कहता हूँ कापियों में किताब से नकल करबाने की जरूरत क्या है ,सीधे नम्बर डाल दो ,इतने चाहिए। इधर भी मेहनत बचेगी उधर जांचने वालों की भी मेहनत बचेगी। आजकल एक उलझन में और हूँ 'रोजगार पहले आया या पैसा 'क्यों की कोई भी क्षेत्र हो पैसे हों तो कहीं भी घुस सकते हो,हुनरमंद होना कोई मायने नहीं रखता है।
इस वक्त मैं चचा आजम खान से बहुत नाराज हूँ,वे कहते हैं मुसलमानों के पास काम नहीं हैं....दस जगह फोन घुमा के पता कर लो ,टेलर हो ,बार्बर हो ,प्लम्बर हो ,कारपेंटर हो ,पेंटर हो ,राजमिस्त्री हो ,फेरी वाला हो सब तो करीम या आसिफ ही होते हैं।
वेरोजगारों को देखना है तो उच्चशिक्षा प्राप्त बच्चों को कहीं भी मां -बाप की छाती पर मूंग दलते हुए देख लो ,इन निठल्लों को सिर्फ सरकारी नौकरी चाहिए उसके लिए ये गटर में भी कूद सकते हैं।
वैसे मेरे पास तो बहुत काम है ,रापल की भतीजी के लिए प्राइवेट जॉब वाला लड़का भी ढूढ़ना है क्यों कि कामचोर लोग मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं हैं ...अगर आपकी भी नजर में कोई हो तो बताना। आभार ,धन्यबाद।
पिरय मकुंदी, नव सन्तावर मुबरक बो, बुसय-इंगलिस,समास सास्त्र, अपने रा प ल सरमा को निरास मत करना। नमस्कार मित्रो ,चकरा गए न ,मेरे दिमाग का भी चूरमा बन गया है ...ऐसे पढ़े -लिखे मित्र से तो अनपढ़ मित्र होना ज्यादा अच्छा था....राम प्रसाद लखन शर्मा ,इन महोदय ने अपनी भतीजी के विषय लिख भेजे हैं ,साथ ही नवसंवत्सर की मुबारकवाद भी ,इन्हें अपनी भतीजी के लिए वर की जरूरत है।
वैसे इतना भी हैरान होने की आवश्यकता नहीं है....अगर बिहार की टॉपर विषय गलत बोल सकती है तो ये गलत क्यों नहीं लिख सकता ....शिक्षा के लिए चार बातें महत्वपूर्ण होती हैं १-किसे पढ़ाएं २-क्या पढ़ाएं ३- कैसे पढ़ाएं ४-कौन पढाये ....मैं तो कहता हूँ इतनी माथापच्ची करने की जरूरत क्या है ,पढाने वालों का हाल ये है,कि इनके हिसाब से कारगिल पंजाब में भी हो सकता है,यूनिसेफ पोलियो ड्राप बनाने वाली कम्पनी भी हो सकती है।
प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा राज्य के अंर्तगत आती है केंद्र उसमें सहयोग भर कर सकता है।
विल्कुल सही राह पकड़ी थी उत्तर प्रदेश ने ,नकल करा के नाकारा पहले ही बना दो ताकि विश्वविद्यालय में जाकर सिर्फ राजनीति ही करने लायक रह जाएँ....सरकारें भी जानती रहीं कि कि काबिल बनाने का कोई फायदा नहीं है ,जनसँख्या के हिसाब से जगहें तो कम ही हैं ....इस लिए फॉर्म भरो का खेल ,खेल कर अपनी आमदनी बढ़ाती रहीं।
मैं तो कहता हूँ कापियों में किताब से नकल करबाने की जरूरत क्या है ,सीधे नम्बर डाल दो ,इतने चाहिए। इधर भी मेहनत बचेगी उधर जांचने वालों की भी मेहनत बचेगी। आजकल एक उलझन में और हूँ 'रोजगार पहले आया या पैसा 'क्यों की कोई भी क्षेत्र हो पैसे हों तो कहीं भी घुस सकते हो,हुनरमंद होना कोई मायने नहीं रखता है।
इस वक्त मैं चचा आजम खान से बहुत नाराज हूँ,वे कहते हैं मुसलमानों के पास काम नहीं हैं....दस जगह फोन घुमा के पता कर लो ,टेलर हो ,बार्बर हो ,प्लम्बर हो ,कारपेंटर हो ,पेंटर हो ,राजमिस्त्री हो ,फेरी वाला हो सब तो करीम या आसिफ ही होते हैं।
वेरोजगारों को देखना है तो उच्चशिक्षा प्राप्त बच्चों को कहीं भी मां -बाप की छाती पर मूंग दलते हुए देख लो ,इन निठल्लों को सिर्फ सरकारी नौकरी चाहिए उसके लिए ये गटर में भी कूद सकते हैं।
वैसे मेरे पास तो बहुत काम है ,रापल की भतीजी के लिए प्राइवेट जॉब वाला लड़का भी ढूढ़ना है क्यों कि कामचोर लोग मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं हैं ...अगर आपकी भी नजर में कोई हो तो बताना। आभार ,धन्यबाद।