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Sunday 26 March 2017

नकल से ब्याकुल मुकुन्दी लाल (व्यंग्य )
पिरय मकुंदी, नव सन्तावर मुबरक बो, बुसय-इंगलिस,समास सास्त्र, अपने रा प ल  सरमा को निरास मत करना। नमस्कार मित्रो ,चकरा गए न ,मेरे दिमाग का भी चूरमा बन गया है ...ऐसे पढ़े -लिखे मित्र से तो अनपढ़ मित्र होना ज्यादा अच्छा था....राम प्रसाद लखन शर्मा ,इन महोदय ने अपनी भतीजी के विषय लिख भेजे हैं ,साथ ही नवसंवत्सर की मुबारकवाद भी ,इन्हें अपनी भतीजी के लिए वर की जरूरत है।
वैसे इतना भी हैरान होने की आवश्यकता नहीं है....अगर बिहार की टॉपर विषय गलत बोल सकती है तो ये गलत क्यों नहीं लिख सकता ....शिक्षा के लिए चार बातें महत्वपूर्ण होती हैं १-किसे पढ़ाएं २-क्या पढ़ाएं  ३- कैसे पढ़ाएं ४-कौन पढाये ....मैं तो कहता हूँ इतनी माथापच्ची करने की जरूरत क्या है ,पढाने वालों का हाल ये है,कि इनके हिसाब से कारगिल पंजाब में भी हो सकता है,यूनिसेफ पोलियो ड्राप बनाने वाली कम्पनी भी हो सकती है।
प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा राज्य के अंर्तगत आती है केंद्र उसमें सहयोग भर कर सकता है।
विल्कुल सही राह पकड़ी थी उत्तर प्रदेश ने ,नकल करा के नाकारा पहले ही बना दो ताकि विश्वविद्यालय में जाकर सिर्फ राजनीति ही करने लायक रह जाएँ....सरकारें भी जानती रहीं कि कि काबिल बनाने का कोई फायदा नहीं है ,जनसँख्या के हिसाब से जगहें तो कम ही हैं ....इस लिए फॉर्म भरो का खेल ,खेल कर अपनी आमदनी बढ़ाती रहीं।
मैं तो कहता हूँ कापियों में किताब से नकल करबाने की जरूरत क्या है ,सीधे नम्बर डाल दो ,इतने चाहिए। इधर भी मेहनत बचेगी उधर जांचने वालों की भी मेहनत बचेगी। आजकल एक उलझन में और हूँ 'रोजगार पहले आया या पैसा 'क्यों की कोई भी क्षेत्र हो पैसे हों तो कहीं  भी घुस सकते हो,हुनरमंद होना कोई मायने नहीं रखता है।
इस वक्त मैं चचा आजम खान से बहुत नाराज हूँ,वे कहते हैं मुसलमानों के पास काम नहीं हैं....दस  जगह फोन घुमा के पता कर लो ,टेलर हो ,बार्बर हो ,प्लम्बर हो ,कारपेंटर हो ,पेंटर हो ,राजमिस्त्री हो ,फेरी वाला हो सब तो करीम या आसिफ ही होते हैं।
वेरोजगारों को देखना है तो उच्चशिक्षा प्राप्त बच्चों को कहीं भी मां -बाप की छाती पर मूंग दलते हुए देख लो ,इन निठल्लों को सिर्फ सरकारी नौकरी चाहिए उसके लिए ये गटर में भी कूद सकते हैं।
वैसे मेरे पास तो बहुत काम है ,रापल की भतीजी के लिए प्राइवेट जॉब वाला लड़का भी ढूढ़ना है क्यों कि कामचोर लोग मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं हैं ...अगर आपकी  भी नजर में कोई हो तो बताना। आभार ,धन्यबाद।      

विश्व गुरु की राह पे चलकर ....

पृथ्वी है ये अति विचित्र
महाद्वीप और महासमंदर
नदियां, फूल,पहाड़ और झील
कितना कुछ धरती के अंदर।

कितनी खोजें, इतना काम कर
जीवन बन सकता था सुंदर
फ़ैल गया घृणा का जहर
जब-तब होते महाबबण्डर।

इतने असुरक्षित हुए हैं ऊपर
रखवाली पानी के अंदर
कैसे - कैसे महाधुरन्दर
खाली हाथ ही गया सिकन्दर।

अब तो जीना सीख लो चन्दर
योगी जी की गोद में बन्दर।
विश्व गुरु की राह पे चलकर
बन जाओ हर प्रश्न का उत्तर।

Tuesday 21 March 2017

मीडिया से त्रस्त मुकुन्दी लाल (हास्य व्यंग्य )


नमस्कार मित्रो ,मैं मुकुन्दी लाल ,होली की शुभकामनायें भी नहीं दे पाया आपको ,क्यों कि ११ तारीख से मेरा हाजमा खराब चल रहा है....अब हालत ये हो गई है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से मुँह मोड़ कर अब सोशल मीडिया पर आ गया हूँ।
ईश्वर ने अपने द्धारा बनाई प्रत्येक वस्तु की प्रकृति ,स्वभाव अलग बनाया है, फिर इसका निचोड़ इंसान में डाल दिया और इंसान ने वही निचोड़ मीडिया में डाल दिया....हद से ज्यादा कोई भी चीज घातक होती है,आजकल मीडिया का 'कमल प्रेम 'मेरे स्वास्थ्य के लिए खोखला बना रहा है क्यों कि यह मेरे लिए असहनीय हो चला है....कल तक चौबीस घण्टे गंगा -जमुनी तहजीब के पीछे लगे रहने वाले पत्रकारों का ह्रदय परिवर्तन मेरे लिए सिर-दर्द बन गया है...मुझे लगता है सेम समस्या से आजकल अभिसार शर्मा भी ग्रस्त हैं।
जिस अदालत में मेरा मतलब चैनल पर महीनों तक यादव परिवार में किसी की छींक तक पर चर्चा होती थी ,११ के बाद वहां केंद्र सरकार की कल्याण कारी योजनाओं की चर्चा होने लगी .. कल तक मोदी के बनारस भय का वर्णन होता था वहां अब अमितशाह की रणनीति की चर्चा हो रही है ... .बड़े-बुजुर्ग नहीं कह गए वल्कि गई -गुजरी सोच यह कहती है कि आज के लोग , तभी किसी की प्रसंशा करते हैं जब या तो कुछ पा चुके होते हैं या पाने की चाह रखते हैं।
इस वक्त सोशल मीडिया ही कुछ राहत रहा है..मैं दोस्तों से ज्यादा दुश्मनों का हमेशा से सम्मान करता आया हूँ फाइनली मुझे पता लग गया कि....आडवाणी की गलती मोदी थे ,मोदी की गलती योगी हैं। रिसर्च तो बनती है चौबीसों घण्टे दिमाग प्रपंच कर कैसे लेता है... विमर्श चल रहा है ,मोदी जी योगी का जितना असहयोग करेंगे फायदे में रहेंगे वरना योगी जी का हठयोग बड़ा प्रबल है कल को प्रधानमंत्री बनने की जिद भी कर सकते हैं।
कमाल का सेन्स पाया है, कल तक गठबंधन ३०० के पार जा रहा था,मोदी से बड़ा कोई जोकर नहीं था और आज योगी मोदी से बेहतर प्रधानमंत्री हो सकते हैं जब कि मुख्यमंत्री बने दो दिन हुए हैं और वो भी बर्दाश्त नहीं हो रहा तब भी...वैसे महत्वाकांक्षी होने और मूर्ख बनने में फर्क होता है.....अमितशाह की चश्में में से झांकती मिचमिचाती ऑंखें याद हैं न.....जैसे -जैसे उनकी निगाह छल -प्रपंचों पर पड़ती जाएगी प्रपंच स्वतः स्वाहा होते चले जायेंगे।
इन नवरात्रों में फलाहार पर रहने की सोच रहा हूँ ,जागरण करने और जागृत रहने की बारी तो फूल ने -फलने वालों की ही है,आम आदमी तो प्रार्थना ही कर सकता है...मां अम्बे सभी का कल्याण करें। जय माता दी।  

Friday 17 March 2017

बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ

बेटी बचाओ
दिल का टुकड़ा है
जान से ज्यादा चाहो
मत सोचिये थोड़ा
ध्यान से पढ़ लेगी
तो विवाह में आसानी रहेगी
इतना पढ़ाओ कि मजबूती से
खड़ी हो सके अपने वजूद के साथ
पांव रख सके कैसी भी जमीन पर
झूठी दिलासा मत दीजिये कि
बेटी मेरी बेटे से अधिक प्रिय है
सामना करेगी जिस दिन
इस झूठ को सह नहीं पायेगी
पिता से कहिये मत दें उसे
अतिरिक्त लाड़ -प्यार
न कहें कि ,राज करेगी मेरी बेटी
ऐसा घर लाऊंगा ढूंढ़ कर
कोई मत बहलाना
कि आयेगा सपनों का राजकुमार
मैं चाहती हूँ , इस देश की बेटियाँ
सच के साथ जियें
काम करने सीखें सारे ,घर और बाहर के
लड़ना सीखें, अभी से मुश्किलों से
क्यों कि विवाह सपनों का नहीं
उत्तरदायित्व निभाने के
पहले का उत्सव है
माता -पिता की छाँव से दूर
झंझावतों से जूझने के पहले का उत्सव है
मत जीने देना उसे
भ्रमित और फरेब में
डालने वाली जिंदगी
उसमें हिम्मत जगाओ
मुश्किलों से भिड़ना सिखाओ
ऐसा बनाओ कि कभी टूटे नहीं
टूट भी जाये तो बिखरे नहीं
उसे तपाओ कि सोना बन कर निखरे
क्यों कि बाकी जिन्दगी
आपके बिना जीनी है उसे
आपके अहसास के साथ
यही अंतिम सच है
हर बेटी का।