फुहारें सिर्फ उमंगें नहीं लातीं, हूक भी उठाती हैं
हवाएं भी कुछ उदास सी लौटती हैं,
बादल अब आल्हादित होकर नहीं लाते संदेसा
उन गलियों से, जहाँ बीता बचपन
किशोरावस्था और यौवन के भी कुछ दिन
भाई - बहिन उलझ गए अपनी जिंदगियों में
माता-पिता अब किस - किस के बारे में सोचें
कितना याद करें, मिलना भी कभी- कभार ही होता है
वो जरुरी रहेंगे जिंदगी में, उतने ही जैसे हवा, पानी
बचपन में जो रस्साकशी चलती थी भाई - बहिनों में
माता-पिता प्यार करें उन्हीं से, सुनें सिर्फ उन्हीं की
वो द्वंध आज भी जारी है
पर एक अच्छा माली कभी भेद-भाव नहीं करता
अपने खून-पसीने से रोपे, सींचे पौधों में
जो रीत चली आयी थी, बेटियां पराई होती हैं
उसे झुठलाना तो चाहा था बहुत
ये हो न सका, खुद व् खुद लगने लगा
वाकई नहीं अधिकार कोई
बस इस अरदास के, सब रहें सलामत
अब नहीं चाहिए एक सिक्का, अदनी सी चीर
दाल का एक दाना भी
बस जाएँ कभी तो हृदय से स्वीकारें
मेरा आना, नहीं देखें परायों के भाव से
जब तक सांसें हैं हवाओं से, बादलों से
पूछना जारी रहेगा, कैसा हाल है मेरे अपनों का
निशां मेरे होने के हौले-हौले मिटने लगे है
गांव से, गली से, घर से, पर दिल से न मिटे कभी
यही है प्रार्थना, जब भी ढूढूं अपने खालीपन में
मुझे मिलता रहे , एक भरापन, मेरा बचपन।
हवाएं भी कुछ उदास सी लौटती हैं,
बादल अब आल्हादित होकर नहीं लाते संदेसा
उन गलियों से, जहाँ बीता बचपन
किशोरावस्था और यौवन के भी कुछ दिन
भाई - बहिन उलझ गए अपनी जिंदगियों में
माता-पिता अब किस - किस के बारे में सोचें
कितना याद करें, मिलना भी कभी- कभार ही होता है
वो जरुरी रहेंगे जिंदगी में, उतने ही जैसे हवा, पानी
बचपन में जो रस्साकशी चलती थी भाई - बहिनों में
माता-पिता प्यार करें उन्हीं से, सुनें सिर्फ उन्हीं की
वो द्वंध आज भी जारी है
पर एक अच्छा माली कभी भेद-भाव नहीं करता
अपने खून-पसीने से रोपे, सींचे पौधों में
जो रीत चली आयी थी, बेटियां पराई होती हैं
उसे झुठलाना तो चाहा था बहुत
ये हो न सका, खुद व् खुद लगने लगा
वाकई नहीं अधिकार कोई
बस इस अरदास के, सब रहें सलामत
अब नहीं चाहिए एक सिक्का, अदनी सी चीर
दाल का एक दाना भी
बस जाएँ कभी तो हृदय से स्वीकारें
मेरा आना, नहीं देखें परायों के भाव से
जब तक सांसें हैं हवाओं से, बादलों से
पूछना जारी रहेगा, कैसा हाल है मेरे अपनों का
निशां मेरे होने के हौले-हौले मिटने लगे है
गांव से, गली से, घर से, पर दिल से न मिटे कभी
यही है प्रार्थना, जब भी ढूढूं अपने खालीपन में
मुझे मिलता रहे , एक भरापन, मेरा बचपन।