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Wednesday 6 February 2019

आगे बढ़ने के ७ उसूल (रॉबिन शर्मा )

1 - मुख्य कामों पर फोकस -     हममें से अधिकतर ने अपने जीवन को कई सारी जटिलताओं में कैद कर लिया है। इस कारण हम सादगी में छिपी महानता को नहीं देख पाते। किसी भी एक उस चीज को चुनें जिसमें आप सर्वश्रेष्ठ हों। उसके बाद अन्य सभी चीजों को मना कर दें। याद रखें पिकासो ने कभी पियानो का अभ्यास नहीं किया और न बेखम ने बही खातों की पढ़ाई की। 
सच कहता हूँ अगले ९० दिनों के लिए अपने ऊपर से तमाम कामों का बोझ उतार दें। केवल उस प्रोजेक्ट या कार्य पर फोकस करें जो आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। ऐसा ही निजी जिंदगी के बारे में करें। आसान बनें ,बस जरूरी बातों पर फोकस करें।
 
2 -काम को शिल्प की तरह देखें - अधिकतर व्यवसायी और वरिष्ठ अधिकारी औसत ढंग से कार्य कर रहे होते हैं. आप उनके ऑफिस में जाएँ तो जगह बिखरी पड़ी होगी ,लोग उदास और निराश दिखेंगे ,खानपान की सुविधाएँ मध्यम दर्जे की होंगी और ऐसी ही अनेक बातें,शायद ही कोई हैरत करने वाली बात नजर आए। इंवेशन्स के नाम पर दिवाला निकालने वाली योजनाएं जरूर होंगी। दूसरी ओर कुछ कंपनियां ऐसी हैं जो जीतने के लक्ष्य से नहीं हारने से बचने के लिए खेल रही हैं। क्या दोनों ही मामलों में सम्भाव्नाएँ नहीं हैं ? ऐसे ही बिंदुओं में महान लीडर्स अपने लिए अवसर तलाश लेते हैं। दूसरे क्या करते हैं ,यह जानने से अधिक उस बात पर फोकस करें कि जो आप करते हैं दूसरे नहीं। खुद को अपने क्षेत्र में दक्ष बनाएं। अपने काम को नौकरी की तरह नहीं शिल्प की तरह देखें। 
३-संबंधों में यकीन -     जितना बड़ा सपना होगा ,टीम का महत्व भी उतना ही बढ़ जायेगा। महान लीडर्स यह बात बखूबी जानते हैं। आप भी अपनी टीम या आसपास के लोगों को विकसित करने लिए समय निकालें। अच्छी टीम में निवेश करें। ऐसी संस्कृति बनाएं जहां लोग हर सुवह अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित रहें। 

4  -निरंतर सुधार -    माइक्रोसॉफ्ट ने जब पहला एम् -डॉस वर्जन पेश किया तो उसमें 300 बग्स थे। वे उसमें तब तक सुधार करते रहे जब तक वह  प्रोडक्ट बेहतरीन नहीं बना। यही कहना चाहता हूँ की महानता तब आती है जब हम हर दिन छोटी -छोटी जीत पर फोकस करते हुए बढ़ते हैं। अपने जूनून को सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करते हैं और एक दिन आता है जब हम अपने क्षेत्र के बादशाह बन जाते हैं। 
  
 5  -हार न मानें - बौद्धिकता या रचनात्मकता ही सफलता के लिए जरूरी नहीं है। सफलता इसमें है कि आप कितनी देर तक अपने लक्ष्यों को पूरा करने में टिके रहते हैं। यह हैरत व दुःख की बात है कि कितनी आसानी से लोग एक हार का सामना करने पर उद्देश्यों से पीछे हट जाते हैं। लेकिन महान लोग दुखी होते हैं ,पर उस खेल में बने रहते हैं। लक्ष्य के प्रति उनका विश्वास फीका नहीं पड़ता। 

6 -प्रभावी आदतों के मालिक -     सफल लोगों में मुझे जो आदतें दिखाई देती हैं .....
                                           1 -सुवह पैदल चलना ,दिन भर के कामों की योजना बनाना। 
                                           2 -नया जानने व सीखने के लिए एक घंटा अलग रखना। 
                                           3 -90 दिन में एक कॉन्फ्रेंस में शामिल होना। 
                                           4 - थोड़ी मात्रा में भोजन करना। 
                                           5 -परिवार के साथ महत्वपूर्ण दिनों पर समय बिताना। 
                                           6 -प्राकृतिक खूबसूरती वाले क्षेत्रों की सैर करना। 
                                           7 -सकारात्मक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले लोगों से जुड़ना। 
                                           8 - बहुत कम या बिलकुल टी वी नहीं देखना। 


7 -समय को संजोना -    अब तक मैंने जिन हस्तियों के निजी सलाहकार के तौर पर काम किया है ,उनमें से आज वे लोग याद आ  रहे हैं ,जो बेवजह की गॉसिपिंग में समय खराब नहीं करते। किसी रेस्तरां में खाने के लिए घंटों लाइन में खड़ा होना पसंद नहीं करते। जो हर बीत रहे पल का मूल्य समझते हैं। ये वे लोग हैं ,जो शीघ्र निर्णय लेते हैं। कामों को दूसरों को सौंपते हैं पर जो भी खुद करते हैं वह  सर्वश्रेष्ठ और पूरी पारदर्शिता से करते हैं। याद रखें  ,समय अमूल्य धन है ,इसे अपने सपनों को पूरा करने में लगाएं। 

१४ फरवरी स्पेशल(प्यार कभी नफरत नहीं सिखाता )

अक्सर लोग प्यार के नाम पर खुद से ही धोखा कर  बैठते हैं। वे सोचते हैं कि जिसको वे पसन्द करते हैं वो भी उसे पसंद करे,जैसा वह सोचते हैं ,जैसा चाहते हैं वो भी वैसा ही करे जब ऐसा नहीं होता तो उस व्यक्ति में आक्रामकता आ जाती है। वास्तव में कभी प्यार करने वाले अपने प्रियतम को हरा नहीं सकते ,कमजोर करने या तोड़ने की सोच भी नहीं सकते क्यों की 'प्रेम 'भावना ही ऐसी है,जो किसी को चोट नहीं पहुंचा सकती। 

तभी तो कुछ लोग सिर्फ आवाज सुनकर या एक झलक पाकर भी संतुष्ट हो जाते हैं। जरूरी नहीं कि जिसे आप प्यार करते हैं वो भी आपको प्यार करे। जिस व्यक्ति से आप प्यार करते हैं उसे वजह बना सकते हैं अपनी ख़ुशी ,प्रेरणा और विश्वास की. ...यकीनन वो व्यक्ति आपकी जिन्दगी में परिवर्तन जरूर लाता है,यह आपके ऊपर है कि आप क्या बनना चाहते हैं? उसे जेब में रख कर घूमने का ख्वाब पालते हैं या उसकी ख़ुशी को देखकर ही खुश होना चाहते हैं।
 उसके आने से आए बदलाव की आहट को सुनिए आपमें नई ऊर्जा का संचार होगा ,आप अपने काम पर ज्यादा फोकस कर पाएंगे। वो आपके सपनों के कैनवास में रंग भरने वाली कूची भी बन सकता है ,आपके शब्द या आपकी कलम भी , एक खूबसूरत अहसास भी जो हर पल आपको नई उमंग से सरावोर करता रहे और आपकी मुश्किल भरी जिन्दगी में राहत के पल बन जाये। प्यार कभी नफरत में तब्दील हो ही नहीं सकता अगर यह बात समझ में आ जाये कि सिर्फ इंसान को पा लेना ही प्यार नहीं होता ,ऐसा प्यार अक्सर खत्म ही हो जाता है तो बहुत सारी मुश्किलों का हल खुद ही निकल आएगा। 
अलका सिंह    

Thursday 31 August 2017

आया था इस बार भी सावन (कविता)

 गुत्थियों सा है जीवन
जिनका हल ढूंढते -ढूढते
उलझ सा गया है मन

आभास था
अह्सास कब हो पाया ,अब जाने को भी है
आया था इस बार भी सावन

हरे -हरे अंधेरों से पटे पड़े खेत
धूप में चमचमाता, ठहरा चाँदी सा पानी
पपीहे का स्वर हो या कीटों की मधुर झंकार
कागज़ की नावें, उनमें रखी पत्तों की पतवार 
सब गायब होने को है ,अब जाने को भी है
आया था इस बार भी सावन

राखियों से सजी मनमोहक दुकानों को खूब निहारा 
खरीदा और लिफाफे में डाल भेजा भी 
सिंधारे की बँटी मिठाई भी खाई ,घेवर की खुशबू जैसे हर कोने में समाई 
कुछ समझ में आया तो 'वीर' की याद बहुत आई 
आंखें भी नम होने को हैं ,अब जाने को भी है 
आया था इस बार भी सावन ।
अलका सिंह

बादल (कविता)

हौले-हौले कभी सरकते
कभी दौड़ लगाते बादल
आँखें तकती ही रह जातीं
कौन डगर बरसेंगे बादल।
धूप कांच सी,कभी छांवअंधेरी
छुपा-छुपी सी करते बादल
पानी से ही बादल बनते
फिर पानी ही बन जाते बादल।
कभी श्वेत कभी पीत चमकते
रजत,स्वर्ण से लगते बादल
काली घटाएँ,इंद्रधनुषी छटाएँ
कितने रंग बदलते बादल।
आकृतियों में ढलने में निपुण हैं
चित्रकार कुशल से बादल
ओले,फुहार,धारासार, न पारावार
जल विशेषज्ञ होते हैं बादल।
नीलकण्ठ,शिव करुणाकर के
परम भक्त से लगते बादल
खुद गर्मी में तपते फिरते
जगत को ठंडक देते बादल।
झूला ,मेंहदी,राखी, कान्हा,ब्रज
कितने अहसास कराते बादल
चौमासा जब विदा हो जाता
याद बहुत आते हैं बादल।
अलका सिंह

कैलाशवासी,अमरनाथ शिव - कविता

कैलाशवासी,अमरनाथ शिव 
विचर रहे हैं धरती पर
विषपायी नीलकण्ठ महादेव
विपदायें सबकी लेंगे हर
धूप दीप न फूल और फल
बस लोटे भर चढ़ जाए जल
फुहारें न मानें कोई इतवार
भीग रहा है हर एक वार
तरु ,शाखें ,पत्ते ,प्रसून
नित्य नहाते बूंदों से
व्याकुल रहते छूने को हवायें
जो जाती हैं शिव धामों को
गंगा से जल भर कर आये हैं ये बारिद
भीगी सी ऋतु में,
सूखा न रह जाये कोई आंगन
लोकोत्सव वर्षागीत और तीज त्योहार
चहुँदिशि प्रकृति कर रही शीतलता का संचार
रोली चन्दन नित शिवबन्दन
जलमय धरती,शिवमय सावन
पी गए गरल, लिए कण्ठ जलन
उस पीड़ा से नभ हुआ सजल
कहाँ भटकते फिरते हो जन
अनुभव कर 'शिव पीड़ा' देखो
जितना शिव में खोओगे
मिल जाएंगे 'स्व' में ही शिव
प्राणवायु से बहते हैं
शिवजी हर एक जीवन में
बड़भागी हैं वे घर-आंगन
जहां चहके बेटी सावन में
हिम से जल तक,कण-कण से नभ तक
वनस्पतियों जीव और विष अमृत तक
आशुतोष का है अदभुत संसार
महामृत्युंजय के चरणों में बारम्बार नमस्कार।
अलका सिंह

Saturday 3 June 2017

जून लाया मानसून (बाल कविता )

मई गई अब आया जून 
संग ले आया मानसून 
रिमझिम बरसेंगे बादल 
मथुरा हो या देहरादून 
नींबू नमक संग चटखारे 
बेंच रहे हैं भुट्टे भून 
मच्छरों से बच कर रहना 
वरना पी जायेंगे खून 

बिल्ली और कौआ पर - बाल कविताएं


           एक
बिल्ली रानी हुई सयानी
चूहे नहीं खायेगी मानी
अच्छा नहीं है मांस को खाना
देर हुई पर उसने माना
जब मैं आऊं नहीं भगाना
घर में जो हो ,दे देना खाना
दूध पियेगी ,खायेगी रोटी
रहना है स्वस्थ ,नहीं होना मोटी
कहीं मिल जाये, अगर विरयानी
थोड़ा ही खायेगी और पियेगी पानी
                   
                    दो
कौआ तेरा काला रंग
और तेरी काँव -काँव
अब तो बहुत याद है आती
तेरी कर्कश बोली, बहुत सुहाती
अपने घर के गमलों के पास
लगा कर हम बच्चों ने आस
पानी और रोटी रक्खी है
उम्मीद लगा के रक्खी है
कभी इधर भी उड़ आना
आकर रोटी खा जाना
फिर तेरी फोटो खींचेंगे
कमरे में अपनी टाँगेंगें
याद तुम्हारी आई तो
वही देख खुश हो लेंगे