‘आजतक’ न्यूज़ चैनल पर ‘एजेंडा’ कार्यक्रम में कपिल देव और इमरान खान
उपस्थित थे कपिल देव के ये कहने पर कि मेरा राजनीती में आने का कोई इरादा नहीं है
मैं ऐसे ही ठीक हूँ | इमरान खान को ये बात चुभ सी गयी तो उन्होंने कहा – कि मेरा
दिल दूसरों के लिए दुखता है इसलिए में अपने मुल्क के लिया कुछ करना चाहता हूँ | एक
सवाल- जो कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी ने किया तो इमरान खान बड़े उत्साह में बोल पड़े-
आप पाकिस्तान आ जाइये फिर हम दोनों साथ मिल कर राजनिति करेंगे रागिनी ने कहा- मैं
यहीं ढीक हूँ | थोड़ी ही देर बाद एबीपी न्यूज़ पर इमरान खान कि दूसरी पूर्व पत्नी
रेहम खान ने उनकी इस उत्साही दावत कि हवा निकाल कर रख दी | रहम ने बतया- कि उन्हें
इमरान व् उनकी पार्टी ने भारत आने से रोका था |
शादी से पहले उनका प्रोफेशन सबको पता था फिर भी उन पर पाबंदियां लगाईं
गयीं | रहम ने अपने और इमरान की राहें और उसूल भी अलग होने की बात कही, तो सब
जानते है इमरान खान आईएसआई और वहां कि फौज का भारत के प्रति जो नजरिया है उसके कड़े
समर्थक है, हो सकता है रहम इसका भी विरोध करती हों | इमरान को ये भी डर था कि कहीं
उनकी पार्टी का चेहरा रहम खान न बन जाएँ हो सकता है ये बात सच हो | उन्होंने कहा
तो ये भी कि दोनों देशों कि आम और ख़ास दोनों तरह कि महिलाओं को बहुत कुछ सहना पड़ता
है उन्हें महिला होने कि कीमत चुकानी पड़ती है ये बात सही है, इस तरह की बातें और
भी सेलिब्रिटी कह चुकी है | महिलाये आज अलग – अलग फील्ड में है, और अपने काम को
अच्छे से अंजाम भी दे रही है चाहे बह कुछ भी बन जाएँ लेकिन पुरुषों की नज़र में घर
के हर काम में पूरी तरह परफेक्ट होनी ही चाहिए | बच्चे पैदा करने और रोटी बनाने के
लिए ही वे दुनियां में आई हैं उसकी औकात इतनी सी है उसे बस यही एहसास कराया जाता
है |
उससे अलग उनका कोई सपना कोई विज़न हो ही नही सकता जैसे
ही महिलाएं अपाने हुनर अपने सपने को लेकर सोचती है आगे बढती है उन पर वार शुरु हो
जाता है | पति, परिवार, पूरा समाज उनके खिलाफ आ खड़ा होता है | सारी उम्र ओरतों को
सिर्फ त्याग और तसल्ली का ही पाठ पढ़ाया जाता है सिर्फ दुखी महिलाओं और उनके ख़राब
पतियों के ही उदाहरण सुनाये जाते है, जैसे सुख की चाह रखना कोई गुनाह हो, पुरुषों
की अहंवादी सोच का ही परिणाम है कि ऐसे किस्से देखने सुनने को मिलते है, पुरुषों
को लगता है स्त्री इंसान ना होकर कोई मोम की गुड़िया है कि जब चाहो अपने हिसाब से
उसे आकार दे दो, ये सोच ही उनके लिए दुःख, हताशा, बेचेनी, नफ़रत और हिंसा पे उतारू
करती है | भारत में भी अगर सेलिब्रिटी की छोड़ दें तो सामान्य महिलाओं की हालत सही
नही कही जा सकती और दुखद बात ये भी है कि महिलाओं को महिलाओं का ही सपोर्ट नही मिल
पाता फिर समाज कि बात ही और है | माहिलाओं के खिलाफ पुरुषों ने ऐसा चक्रव्यूह रच
दिया है जिसे बह आज तक नही तोड़ पायी है और महिलाओं के प्रति अपनी नफ़रत का इलाज
नहीं ढूढ़ पायीं है | जिस दिन महिलाएं ही महिलाओं के साथ खड़ी हो गयी तो इनके आधे
दुःख अपने आप ही दूर हो जायेंगे |