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Saturday 3 June 2017

बिल्ली और कौआ पर - बाल कविताएं


           एक
बिल्ली रानी हुई सयानी
चूहे नहीं खायेगी मानी
अच्छा नहीं है मांस को खाना
देर हुई पर उसने माना
जब मैं आऊं नहीं भगाना
घर में जो हो ,दे देना खाना
दूध पियेगी ,खायेगी रोटी
रहना है स्वस्थ ,नहीं होना मोटी
कहीं मिल जाये, अगर विरयानी
थोड़ा ही खायेगी और पियेगी पानी
                   
                    दो
कौआ तेरा काला रंग
और तेरी काँव -काँव
अब तो बहुत याद है आती
तेरी कर्कश बोली, बहुत सुहाती
अपने घर के गमलों के पास
लगा कर हम बच्चों ने आस
पानी और रोटी रक्खी है
उम्मीद लगा के रक्खी है
कभी इधर भी उड़ आना
आकर रोटी खा जाना
फिर तेरी फोटो खींचेंगे
कमरे में अपनी टाँगेंगें
याद तुम्हारी आई तो
वही देख खुश हो लेंगे

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