वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई ग़ैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात कहना तुम न भूले से
यहाँ खत भी जरा- सी देर में अख़बार होता है
हमारे दुख से सुख उनको ,हमारे सुख से दुख उनको
सही माने में अपनों का यही व्यवहार होता है
बुरा कहते हैं वो हमको तो इसमें हर्ज ही क्या है
सुना है इस तरह भी प्यार का इजहार होता है
किसी का दिल न तोड़ो भूलकर भी ऐ ,जहाँ वालो
बड़ी मुश्किल से कोई दिल यहाँ तैयार होता है
हमेशा हम जिन्हें सच बोलने की सीख देतें हैं
उन्हीं के सामने सच बोलना दुश्वार होता है
किसी को दिल न देने की कसम हर बार खाई
मगर मजबूर हैं हमसे यही हर बार होता है
-डॉo उर्मिलेश
वो कोई ग़ैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात कहना तुम न भूले से
यहाँ खत भी जरा- सी देर में अख़बार होता है
हमारे दुख से सुख उनको ,हमारे सुख से दुख उनको
सही माने में अपनों का यही व्यवहार होता है
बुरा कहते हैं वो हमको तो इसमें हर्ज ही क्या है
सुना है इस तरह भी प्यार का इजहार होता है
किसी का दिल न तोड़ो भूलकर भी ऐ ,जहाँ वालो
बड़ी मुश्किल से कोई दिल यहाँ तैयार होता है
हमेशा हम जिन्हें सच बोलने की सीख देतें हैं
उन्हीं के सामने सच बोलना दुश्वार होता है
किसी को दिल न देने की कसम हर बार खाई
मगर मजबूर हैं हमसे यही हर बार होता है
-डॉo उर्मिलेश
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