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Monday, 1 April 2013

सितारों से अकेले में मैं जब भी बात करता हूँ

सितारों से अकेले में मैं जब भी बात करता हूँ
खुले दिल से तुम्हारी और अपनी बात करता हूँ

मुझे मालूम है इस दौर में मुमकिन नहीं फिर भी
तुम्हें खुश देखकर मैं भी ख़ुशी की बात करता हूँ

ये मेरी खुशगुमानी है कि नादानी ,खुदा जाने
मैं तुमसे मिलके अक्सर ज़िन्दगी की बात करता हूँ

बहुत अफ़सोस है मुझको कि सब दरपन हुए झूठे
मैं अपनी ,दोस्तों की औ तुम्हारी बात करता हूँ

कली हो ,फूल -खुशबू हो ,बहारें ही बहारें हों
ख्यालों में मुझे देखो मैं कैसी बात करता हूँ

हमेशा ख़्वाब में दंगा ,तबाही ,खून ,वहशत है
मैं सपने में भी डरकर सहमी -सहमी बात करता हूँ

ये हिंदू है ,वो मुस्लिम है ,ये काफ़िर है ,वो दीवाना
सभी से प्यार है मुझको ,सभी की बात करता हूँ
                                                                                  -किशन स्वरूप 

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