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Tuesday, 2 April 2013

काश धरती पे सितारों का बसेरा होता

काश धरती पे सितारों का बसेरा होता
रात होती भी तो महसूस सवेरा होता

तुम नहीं थे तो उजालों की तलब थी सबको
तुम न आते तो अँधेरा ही अँधेरा होता

प्यार के दीप हरेक घर में जलाए जाते
दोस्त !इस शहर पे कुछ ज़ोर जो मेरा होता

तुझसे करने को थीं ,तनहाई में बातें क्या -क्या
बीते लम्हों ने अगर मुझको न घेरा होता

खिलते रहते तेरे होंठों पे शगूफे हरदम
दुःख जो दुनिया का है तेरा नही ,मेरा होता
                                                                    -किशन स्वरूप (आसमान मेरा भी है )

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