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Sunday, 13 November 2016

हर शख़्स अलग किरदार है

हौंसला दिलाना ,विश्वास जगाना ,साथ निभाना
अपनापन #,प्यार ,दुलार ,फटकार ,पुरस्कार
इन्हीं घरों की बातें थीं
लहू की जगह अब तेजाब ने ले ली है
बदन जल रहे हैं ,आतुर हैं औरों को भी जलाने को
नश्तर उग आए हैं जुबान पर
जो लगे हैं घाव पर घाव करने में
अपनों में भी ढूढ़ो तो
हर शख़्स अलग किरदार है

कभी सबका हितैषी वो 'ऊपरवाला' ही था
उल्टी लहरों में बस 'एक ही सहारा' था
सच्ची प्रार्थनाएँ दम तोड़ रहीं हैं
खो गई है पतवार ,सोया हुआ है खेवनहार
तड़प रही है आत्मा ,मचा है मन में कोहराम
भटकाव की कोई मंजिल नहीं होती
हताशा और निराशा में डूबी भीड़ को
ढोंगियों ने दे दी है शरण
ये आस्था की पराजय है ,खुद
#ईश्वर की हार है

दोस्ती की बातें, दर्ज़ किताबों के हर्फ़ हैं
किस्से -कहानियाँ  कुछ निशानियाँ हैं अतीत की
सच्चा दोस्त #विलुप्त प्राय प्राणी या
नई जीन्स में लगे 'पेंवद' जैसा है
नए ट्रेंड में दोस्ती एक फैशन है , पैशन है
पार्टियों ,त्योहारों के गिफ़्ट से रौशन है
स्वर्णिम दिनों के आकाश के सितारे
बदहाली के आलम में जुगनू तक नहीं रहते
दोस्ती दो लोगों का साथ नहीं
स्वार्थ की जुवां में एक -दुसरे से 'कुछ हथियाने का चलन है
सदभावों ,शुभचिंतन का कत्ल है ये ,#मानवता को धिक्कार है 

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