२६ जनबरी की शाम एक परिचित के यहाँ सगाई थी, उसमें जाना हुआ .बहुत सारे लोग मिले. सभी देश और देश से जुड़ी समस्याओं पर ही विचार - विमर्श कर रहे थे . युवाओं में खासा गुस्सा था उनका कहना था -हम भी देश के लिए कुछ करना चाहते हैं लेकिन समझ में ये नहीं आता कहाँ से शुरुआत करें ? तभी एक रिश्तेदार ने कहा कि रिजर्वेशन नहीं हैं और निकलना रात में ही होगा. तुरंत कई स्वर गूंजे - मामाजी सुबह सही रहेगा बिना रिजर्वेशन के भी आराम से लेटकर जाना, डेली अप -डाउन करने वाले तमाम लोंगों से अपनी पहचान है , पहले तो वे लोग यात्रियों को प्यार से उठाते हैं और जब कोई नहीं उठता है तो सीधे बाहर उठा कर फेंक देते हैं , फिर चाहे किसी का सर फटे , पैर टूटे या दम छूटे.
लड़के बालों के जाने के बाद जब खाना शुरू हुआ तो लड़की के माता - पिता के आगे भी किसी ने प्लेट लगा दीं,लेकिन वे दोनों कोई कमी रह जाने के कारण आपस में बात-चीत करने लगे .फिर जो हुआ काफी स्तब्ध करने बाला था . उनका छोटा बेटा दन-दनाता हुआ आया और दोनों की प्लेटें मेज पर पलट दीं "ये वकवास बाद में नहीं कर सकते थे क्या ,दोस्तों के सामने क्या इज्जत रह जाएगी मेरी "ये दोस्त व्ही थे जो अपनी पहचान यात्रियों को फेंकने वालों से बता रहे थे .देखते-देखते जिस लड़की की सगाई थी वो भी बरस पड़ी आके .यह वो परिवार है जिसमें से ग्यारह शिक्षक, दो इंजीनियर एक डाक्टर निकले हैं. परिवार से समाज बनता है और समाज से देश, मुझे लगा जो लोग अपने परिवार से संयम ,बड़ों का आदर और सहनशीलता जिए गुण नहीं सीख पाए न ही सार्वजनिक रूप से अपनों के साथ कैसे पेश आया जाता है यह समझ पाए वे लोग देश के लिए कुछ कर सकते हैं क्या ? कथनी और करनी में फर्क होता है अगर कोई वास्तव में इस तरफ से गंभीर है तो यह पूछने की जरूरत ही नहीं है कि हम देश के लिए क्या कर सकते हैं ?
एक बहुत अमीर आदमी ने अपने अपराधी बेटे को विधानसभा चुनाव में खड़ा किया ,प्रचार के लिए उसने फिल्म इंडस्ट्री की नामी अभिनेत्री को उतारा.जो तस्वीरें अख़बारों में छपतीथीं उसमे वह अभिनेत्री उस लड़के के साथ बहुत ही असहज दिखती थी लेकिन जब पैसा लिया था तो ये सब भी करना ही था .उस विधानसभा क्षेत्र की सभी महिलाएं एकजुट हो गयीं और बहू-बेटियों का हवाला देकर पुरषों को भी मना लिया और वह हीरो बुरी तरह हारा,लेकिन बाद में उसके माता -पिता चुनाव लड़ेऔर लोगों में इतने नोट बांटे कि लोग अच्छा-बुरा भूल गये और पिताजी सांसद,माताजी विधायक हो गयीं .चुनाव के समय मुफ्त में शराब मिली मिली तो लोंगों ने जम कर पी फिर शराबी हो गये .दूर -दूर तक शराब की दुकान न थी सो अब हो गयी ,कर्जदार हुए तो सांसद जी के रिश्तेदारों ने जमीनें खरीद लीं, अब महिलाएं रोतीं हैं या गाली देतीं हैं लेकिन पुरष अब भी दुखी नहीं हैं वे और गहरे दल-दल में फंसने की तैयारी में हैं कहते हैं -चुनाव आने दो ढंग से गिन्बायेंगे .सार बस इतना सा है कि हम ही समस्या हैं हम ही समाधान हैं .चन्द्र प्रकाश दीक्षित जी का शेर है .
रास्ते बनते नहीं ,खुद ही बनाने होंगे
रौशनी के वास्ते ,ये दिल भी जलाने होंगे .
लड़के बालों के जाने के बाद जब खाना शुरू हुआ तो लड़की के माता - पिता के आगे भी किसी ने प्लेट लगा दीं,लेकिन वे दोनों कोई कमी रह जाने के कारण आपस में बात-चीत करने लगे .फिर जो हुआ काफी स्तब्ध करने बाला था . उनका छोटा बेटा दन-दनाता हुआ आया और दोनों की प्लेटें मेज पर पलट दीं "ये वकवास बाद में नहीं कर सकते थे क्या ,दोस्तों के सामने क्या इज्जत रह जाएगी मेरी "ये दोस्त व्ही थे जो अपनी पहचान यात्रियों को फेंकने वालों से बता रहे थे .देखते-देखते जिस लड़की की सगाई थी वो भी बरस पड़ी आके .यह वो परिवार है जिसमें से ग्यारह शिक्षक, दो इंजीनियर एक डाक्टर निकले हैं. परिवार से समाज बनता है और समाज से देश, मुझे लगा जो लोग अपने परिवार से संयम ,बड़ों का आदर और सहनशीलता जिए गुण नहीं सीख पाए न ही सार्वजनिक रूप से अपनों के साथ कैसे पेश आया जाता है यह समझ पाए वे लोग देश के लिए कुछ कर सकते हैं क्या ? कथनी और करनी में फर्क होता है अगर कोई वास्तव में इस तरफ से गंभीर है तो यह पूछने की जरूरत ही नहीं है कि हम देश के लिए क्या कर सकते हैं ?
- सरकारी कर्मचारी अपना निठल्लापन छोड़ दें ,समय से कम निपटाएं ,छोटे -छोटे कामों के लिए भी दूसरों से कुछ लेने कि आदत छोड़ दें .
- छात्र रैगिंग करना छोड़ दें ,छोटी -छोटी चीजों के लिए लड़ना छोड़ दें ,जो नशा करतें हैं उसको छोड़ने कि कोशिश करें ,गर्लफ्रेंड को इम्प्रेस करने के लिए गलत हथकंडे न अपनाएं ,जितना जेबखर्च मिलता है उसी में काम चलायें .
- अक्सर देखा जाता है डिग्री लेने के बाद बच्चे घर का कोई काम करना पसंद नहीं करते ,पैदल चलना पसंद नहीं करते तो माता -पिता के सहयोगी बनें, भार न बनें .
- दल बनाकर अपने को सुपरमैन समझकर एक यात्री को मौत के मुंह में धकेलकर दुसरे को सीट दिलाना सेवा नहीं गुंडागर्दी है जो तुरंत रुकनी चाहिए .
- अक्सर अस्पतालों में रोगियों के साथ दुर्व्यवहार होता है ,उनके साथ जो समवेद्न्हीनता बरती जाती है वो नहीं होनी चाहिए .
- जो लोग अपने फायदे के लिए मिलाबटखोरी कर रहे हैं जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. अगर किसी के मन में देश सेवा का जज्बा है तो उसे तुरंत अपने हाथ रोक देने चाहिए .
- शिक्षक ईमानदारी के साथ अपनी कक्षा में पूरा ध्यान दें .
एक बहुत अमीर आदमी ने अपने अपराधी बेटे को विधानसभा चुनाव में खड़ा किया ,प्रचार के लिए उसने फिल्म इंडस्ट्री की नामी अभिनेत्री को उतारा.जो तस्वीरें अख़बारों में छपतीथीं उसमे वह अभिनेत्री उस लड़के के साथ बहुत ही असहज दिखती थी लेकिन जब पैसा लिया था तो ये सब भी करना ही था .उस विधानसभा क्षेत्र की सभी महिलाएं एकजुट हो गयीं और बहू-बेटियों का हवाला देकर पुरषों को भी मना लिया और वह हीरो बुरी तरह हारा,लेकिन बाद में उसके माता -पिता चुनाव लड़ेऔर लोगों में इतने नोट बांटे कि लोग अच्छा-बुरा भूल गये और पिताजी सांसद,माताजी विधायक हो गयीं .चुनाव के समय मुफ्त में शराब मिली मिली तो लोंगों ने जम कर पी फिर शराबी हो गये .दूर -दूर तक शराब की दुकान न थी सो अब हो गयी ,कर्जदार हुए तो सांसद जी के रिश्तेदारों ने जमीनें खरीद लीं, अब महिलाएं रोतीं हैं या गाली देतीं हैं लेकिन पुरष अब भी दुखी नहीं हैं वे और गहरे दल-दल में फंसने की तैयारी में हैं कहते हैं -चुनाव आने दो ढंग से गिन्बायेंगे .सार बस इतना सा है कि हम ही समस्या हैं हम ही समाधान हैं .चन्द्र प्रकाश दीक्षित जी का शेर है .
रास्ते बनते नहीं ,खुद ही बनाने होंगे
रौशनी के वास्ते ,ये दिल भी जलाने होंगे .
No comments:
Post a Comment